Jairam Mahato
झारखंड की राजनीति में एक नया चेहरा उभर कर सामने आ रहा है—जयराम महतो। एक ऐसा नेता जो आने वाले समय में झारखंड का अगला मुख्यमंत्री बन सकता है. अगर जयराम मुख्यमंत्री बन जाते है तो सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने वाले एक मात्र नेता कहलाएंगे. 30 साल का ये साधारण लड़का जिसने बहुत कम समय में काफी लोकप्रियता हासिल की. इन दिनों सोशल मीडिया पर जयराम महतो के सीएम बनने को लेकर काफी बाते चल रही है. लेकिन, सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों जयराम महतो को लेकर इतनी चर्चा हो रही है? क्या वो सच में राज्य की राजनीति को बदलने की ताकत रखते हैं? क्या वो आगामी चुनाव जीतकर सीएम बन सकते है… तो चलिए इन्ही सब सवालों का जवाब इस वीडियो में जानते है…
Jairam Mahato के बारे में..
27 सितंबर 1993 को तोपचाची धनबाद में जयराम का जन्म हुआ. इनके पिता आंदोलनकारी थे. जयराम के जन्म से पहले ही आंदोलन में इनके पिता की मौत हो जाती है. जयराम का बचपन गांव में ही गुजरा. न बिजली, न सड़क, न पानी की सुविधा… इन सभी समस्याओं के साथ जयराम ने शुरुआती पढ़ाई यहीं से की. इनके घर में कमाने वाला कोई नहीं था. आंदोलन में इनके पिता की मौत हो जाने के काऱण झारखंड सरकार की ओर से हर महिने 3000 रुपये पेंशन मिलता है. और इन्ही पैसों से इनका घर चलता है… लेकिन इतने सारे परेशानियों के बावजूद टाइगर जयराम ने हार नहीं मानी और पढाई करते रहे. और आगे की पढ़ाई इन्होने P.K ROY MEMORIAL COLLEGE DHANBAD से किया. ENGLISH HONOUR से M . A की पढाई की और अब BINOD BIHARI MAHTO UNIVERSITY से PHD की पढाई कर रहे है …लेकिन सवाल उठता है कि एक स्टूडेंट राजनीति में कैसा आ गया और इतने कम समय में लोगों के चहते कैसे बन गए.
लोगों के चहते कैसे बन गए Jairam Mahato
दरअसल कोरोना काल के समय झारखंड सरकार ने GRP C or grp D की बहाली में बाहरी भाषा को जगह दी जबकि स्थानीय भाषा को इन राज्य के नौकरियों से वंचित रखा. इन्हीं सब को लेकर जयराम महतो ने आंदोलन किया. आगे चलकर यह आंदोलन सफल हुआ. और इस तरह जयराम छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए. इनके बोलने के तरीका लोगों को काफी पसंद आने लगा. फिर क्या था जयराम महतो इसी तरह लोगों के समस्याओं को लेकर आवाज उठाने लगे. लोगों ने इन्हे ‘युवा टाइगर’ का नाम दिया. इस छात्र नेता ने वो कर दिखाया जो आज तक कोई भी दिग्गज नेता ने नहीं किया था. जयराम महतो ने अपने भाषण में सिर्फ स्थानीय मुद्दे, युवाओं को रोजगार, भाषा और अपने हक-अधिकार की बात करने लगे. युवा इनसे जुड़ने लगे. 1932 खतियान की मांग को लेकर इन्होंने सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया. और बार बार झारखंड के लोगों के अधिकार के लिए राज्य सरकार पर सवाल उठाए. इनका कहना था कि झारखंड निर्माण की कल्पना को पूरा करने के लिए युवाओं की राजनीति में भागीदारी बहुत जरूरी है। युवाओं को सक्रिय रूप से आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य अलग होने के 23 साल बीत जाने के बाद भी राज्य की स्थिति नहीं बदली। आज भी राज्य के लोग बुनियादी ज़रूरतों के लिए जद्दोजहद करते नज़र आ जाएंगे। अगर स्थिति को बदलना है तो अपनी आवाज को राजधानी रांची और दिल्ली सदन तक पहुंचाना होगा। बदलाव के लिए सड़क से उठाकर युवाओं को सदन भेजने की तैयारी करनी होगी। जयराम महतो यह भी कहते है कि जब तक परिवारवाद का सिलसिला चलता रहेगा, झारखंड निर्माण के उद्देश्यों को पूरा नहीं किया जा सकता। हमें नीति और नियत दोनों बदलनी होगी और थोपी हुई राजनीति को हटाना होगा और अपना भविष्य खुद चुनना होगा…
और आगे चलकर जयराम महतों ने अपनी एक पार्टी बना ली. झारखंडी भाषा-Khatiyan संघर्ष Smiti (JBKSS).. और 2024 के लोकसभा चुनाव में 8 सीटों पर जयराम ने अपने उम्मीदवार उतारें… जिनमें तीन सीटों पर इन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया. गिरिडीह लोकसभा सीट पर जयराम तीसरे नंबर पर आयें. साढे तीन लाख वोट लाकर राज्य के बड़े नेताओं के होश उड़ा दिए. वहीं हजारीबाग और रांची के लोकसभा सीटों पर भी JBKSS ने खासा बेहतर प्रदर्शन किया. जिसके बाद से जयराम महतो के सीएम बनने की लहर चलने लगी.
क्या सच में CM बन सकते है Jairam Mahato
लेकिन जयराम के लिए सीएम बनने का सफर इतना आसान नहीं है. झारखंड में 81 विधानसभा सीट है. अगर जयराम को मुख्यमंत्री बनना है तो उन्हे 40 सीटों पर चुनाव जीतना होगा. 2024 के विधानसभा चुनाव में जयराम करीब 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रहे है. JBKSS से एक मात्र जयराम महतो ऐसे नेता है जो काफी लोकप्रिय है.. और बाकी उम्मीदवारों की बात करें तो उन उम्मीदवार की लोगों में ऐसी कोई खासा पकड़ नहीं है.
झारखंड और बिहार ऐसे राज्य है जहां के लोग आज भी जाति के नाम पर वोट देते है. ऐसे में जयराम महतो यहां पर मात खा सकते है. दरअसल इस राज्य में 52% OBC कैटेगरी के लोग है. जो ज्यादातर बीजेपी और कांग्रेस को वोट करते है. इन्ही 52% में 14% मुस्लिम समुदाय के है जिनका लगभग पूरा वोट कांग्रेस को जाएगा. इन सब को देखते हुए यहां पर जयराम को कोई बेहतर रणनीति बनाना होगा ताकि OBC कैटेगरी का कुछ वोट अपनी ओर खींच सके. वहीं ST कैटोगरी की जनसंख्या 26% है. यानि पूरे राज्य की जनसंख्या का लगभग एक तिहाई हिस्सा जनसंख्या आदिवासी है. और इनका पूरा वोट अपने क़ॉम्यूनिटी को जाता है. यानि आदिवासियों का वोट हेमंत सोरेन को जाएगा क्योंकि राज्य में एक मात्र आदिवासी समुदाय के ये लोकप्रिय नेता है. तो यहां पर JBKSS को अगर चुनाव जीतना है तो उन्हें हेमंत को रास्ते से साफ करना होगा.
वहीं SC और GEN कैटोगरी की बात करे तो इनका वोट सभी पार्टियों की ओर बटा है. इन्हें लेकर कुछ खास कहा नहीं जा सकता..
इससे साफ पता चलता है कि इस बार जयराम महतो का मुख्यमंत्री बनाना मुश्किल सा लग रहा है. लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है. कहा जाता है कि राजनीति ऐसी चीज है रातो रात रिजल्ट बदल जाता है. अगर जयराम महतो आदिवासी और ओबीसी वोटर्स को अपनी ओर खींच लेते है तो मुख्यमंत्री बनने से इन्हे कोई नहीं रोक सकता… खैर इन सब को साइड रखकर कहे तो झारखंड को अब एक नए युवा चहरें की जरुरत है… आप इसपर क्या सोचते है कमेंट बॉक्स में जरूर बताए..